Rashtravad: रवींद्रनाथ ठाकुर की अनमोल रचनाओं का दर्शन

किताब की समीक्षा: राष्ट्रवाद – रवींद्रनाथ ठाकुर

Rashtravad-Rabindranath Tagore

जब हम भारतीय साहित्य की बात करते हैं, तो रवींद्रनाथ ठाकुर का नाम सबसे ऊपर आता है। ठाकुर जी, जैसे कि उन्हें प्यार से बुलाते हैं, केवल एक लेखक ही नहीं थे, बल्कि एक महान कवि, नाटककार, चित्रकार और संगीतकार भी थे। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय में अपने विचारों और रचनाओं के माध्यम से लोगों को जागरूक किया। आज हम बात करने जा रहे हैं उनकी प्रसिद्ध कृति "राष्ट्रवाद" की।

किताब का सारांश

"राष्ट्रवाद" एक ऐसी किताब है, जो हमें सोचने पर मजबूर करती है। यह केवल एक राजनीतिक विचारधारा पर आधारित पुस्तक नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, पहचान और आत्मा की गहराइयों में जाने की कोशिश करती है। ठाकुर जी ने इस पुस्तक में यह दर्शाने का प्रयास किया है कि राष्ट्रवाद क्या है और इसके प्रभाव हमारे समाज पर कैसे पड़ते हैं।

कहानी की बात करें, तो "राष्ट्रवाद" एक विचारों की परिक्रमण है। इसमें ठाकुर जी ने यह समझाने की कोशिश की है कि एक राष्ट्र केवल भौगोलिक सीमाओं से नहीं बनता, बल्कि उसकी सांस्कृतिक और सामाजिक धारा, जो लोगों को जोड़ती है, वह सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया है कि कैसे एक व्यक्ति के विचार ही राष्ट्र को आकार देते हैं।

मुख्य पात्र और उनकी भूमिकाएँ

इस पुस्तक में मुख्य पात्र तो कोई खास नहीं हैं, लेकिन इसमें मौजूद विचारों और सिद्धांतों को आप मुख्य पात्र मान सकते हैं। ठाकुर जी खुद इन विचारों के माध्यम से अपने पाठकों से संवाद करते हैं। उन्होंने जबरदस्त तरीके से अपने विचारों को प्रस्तुति दी है, जिससे हर कोई उनसे जुड़ता है। आप इनमें अपने विचार और विचारधारा को बखूबी देख सकते हैं।

यहां यह भी कहने का मन हो रहा है कि विचारों के ये पात्र हमें समाज के विभिन्न पहलुओं की ओर ले जाते हैं। जैसे कि, एक समुदाय में सहिष्णुता का अभाव, या फिर विकास का रास्ता, जो हमें आत्मनिर्भरता की ओर ले जाता है।

लेखन शैली और भाषा

रवींद्रनाथ ठाकुर की लेखनी हमेशा से ही अद्भुत रही है। उनकी भाषा सरल, लेकिन गहराई से भरी है। "राष्ट्रवाद" में उन्हें अपनी विचारधारा को व्यक्त करने के लिए एक ऐसे काव्यात्मक और दर्शनात्मक अंदाज का सहारा लिया है, जो पाठकों को हर वाक्य में अपने विचारों से जोड़ता है।

ठाकुर जी की भाषा न केवल सांस्कृतिक धरोहर से भरपूर है, बल्कि इसमें एक अलग ही प्रकार की मधुरता भी है। यह पुस्तक पढ़ते समय आपको कहीं न कहीं अपनी आत्मा की गहराइयों तक ले जाती है।

खास बातें और संदेश

"राष्ट्रवाद" में ठाकुर जी ने केवल राष्ट्रवाद के बारे में ही नहीं बल्कि सामाजिक संबंधों, मानवीय मूल्यों और व्यक्तिगत विकास के बारे में भी कई महत्वपूर्ण बातें कहीं हैं। इस पुस्तक का मुख्य संदेश है कि राष्ट्र तब ही मजबूत होता है जब उसके लोग एक दूसरे के प्रति सहिष्णु और समर्थ होते हैं। इसका एक मुख्य विचार यह भी है कि हर व्यक्ति के मूल्यों का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

मेरा पसंदीदा हिस्सा

जब मैंने "राष्ट्रवाद" पढ़ी, तो मुझे सबसे ज्यादा उस हिस्से ने प्रभावित किया, जहां ठाकुर जी ने बताया है कि एक सच्चा राष्ट्रवादी केवल अपने देश के लिए नहीं, बल्कि पूरे मानवता के लिए सोचता है। यह विचार मेरे दिल के बहुत करीब लगा। उन्होंने अनाया है कि आपसी प्रेम और सम्मान से एक सशक्त समाज का निर्माण होता है। यह विचार न केवल हमें देशभक्ति सिखाता है, बल्कि मानवता की व्यापकता को भी दर्शाता है।

कौन पढ़ें यह किताब?

अगर आप साहित्य प्रेमी हैं, या फिर आप उन किताबों को पसंद करते हैं जो केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि सोचने पर मजबूर करें, तो "राष्ट्रवाद" आपको अवश्य पढ़नी चाहिए। यह उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो समाज की जटिलताओं को समझने और उनमें बदलाव लाने का प्रयास कर रहे हैं।

रवींद्रनाथ ठाकुर का जीवन और योगदान

रवींद्रनाथ ठाकुर, जो कि 7 मई 1861 को जन्मे थे, ने भारतीय साहित्य को एक नई दिशा दी। उन्हें न केवल भारत में, बल्कि विश्व स्तर पर भी उनके योगदान के लिए जाना जाता है। उन्होंने 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार जीता और यह पुरस्कार पाने वाले पहले गैर-यूरोपीय व्यक्ति बने। ठाकुर जी के कई प्रमुख कार्यों में "गीतांजलि", "गुलिवेर की यात्रा", और "नगर में भूत" शामिल हैं। उनका लेखन विभिन्न सांस्कृतिक और सामाजिक मुद्दों को छूता है, और उन्होंने हमेशा अपने विचारों को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा है।

ख़रीदें "राष्ट्रवाद"

क्या आप भी इस पुस्तक के विचारों को अपने जीवन में उतारना चाहते हैं? तो देर किस बात की?

यहाँ से खरीदें

निष्कर्ष

"राष्ट्रवाद" न केवल एक महत्वपूर्ण कृति है, बल्कि यह हमारे लिए एक संदर्भ भी है कि हमें अपने समाज और राष्ट्र के प्रति क्या दायित्व निभाना चाहिए। रवींद्रनाथ ठाकुर की लेखनी हमेशा हमें प्रेरित करती है कि हम अपनी पहचान को समझें और सामूहिकता में अपनी शक्ति को पहचाने।

तो दोस्तों, अगर आप साहित्य की गहराइयों में जाना चाहते हैं और अपने विचारों को विस्तारित करना चाहते हैं, तो "राष्ट्रवाद" आपके लिए एक सही किताब है। इसे पढ़ें और अपने विचारों के दायरों को बढ़ाएं।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *